लेखनी कहानी -13-Dec-2022 ये बिखरी जुल्फें
गजल
ये बिखरी बिखरी जुल्फें ये तीखे तीखे नैन
ये जादू भरी मुस्कान कर दे सबको बेचैन
ये अदाऐं ये शोखियां ये मस्तियाँ ये जवानी
हाय, क्या अब जीने भी न देगी, सुन दीवानी
ये सुरूर ये गरूर ये फितूर बड़ी मगरूर है
ये बांकपन कह रहा कुछ दिल में जरूर है
दिल में कोई तो बसा है किसी का तो नशा है
ये लकदक हुस्न देख क्या तू खुद पे फिदा है
कुछ तो इशारा कर इन चिलमनों की ओट से
एक बार नाम ही ले दे अपने गुलाबी होंठ से
श्री हरि
जयपुर
13.12.22
Muskan khan
14-Dec-2022 05:55 PM
Nice 👌
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Hari Shanker Goyal "Hari"
14-Dec-2022 11:32 PM
धन्यवाद जी
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